Achievements 

 

बिहार विधान परिषद् की उपलब्धियां

 

सूफी सर्किट

 

माननीय सभापति प्रो. जाबिर हुसेन के आदेश के आलोक में राज्य सरकार ने सूफी सर्किट के विकास और उससे संबंधित साहित्य के प्रकाशन की घोषणा की। माननीय सभापति महोदय ने राज्य सरकार को स्पष्ट आदेश दिया कि मखदूम कुण्ड में एक केन्द्र और संग्रहालय स्थापित करे।

 

अल्पसंख्यक भाषाई शिक्षकों को पुरस्कार

 

अल्पसंख्यक भाषाई शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कारों की सूची में शामिल करने के संबंध में विचार-विमर्श हेतु माननीय सभापति प्रो. जाबिर हुसेन की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में माननीय सभापति महोदय ने संबंधित विभाग को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि अल्पसंख्यक भाषाएं, जैसे उर्दू, अरबी, फारसी, संथाली, मुण्डारी, पंजाबी, बांग्ला, उड़िया आदि विषयों को पढ़ाने वाले शिक्षकों का प्रतिनिधित्व इस पुरस्कार के लिए हो रहा है अथवा नहीं।

 

भागलपुर दंगा जांच

 

119वें सत्र में भागलपुर दंगा जांच आयोग के प्रतिवेदन पर अपना नियमन देते हुए माननीय सभापति ने कहा कि राज्य सरकार को जो प्रतिवेदन पाप्त हुआ है, शीघ्रातिशीघ्र उस प्रतिवेदन की समीक्षा हो, और जिन परिस्थितियों, जिन संगठनों, जिन व्यक्तियों पर इस प्रतिवेदन में स्पष्ट रूप से, सीधे तौर पर या परोक्ष रूप से, जिम्मेदारी ठहराई गई है, उनके विरुद्ध कठोर कार्रवाई सरकार की ओर से की जाए और समीक्षा के बाद जो कार्रवाई की गई, उसके प्रतिवेदन के सिलसिले में सदन को इसकी जानकारी दी जाए।

 

मानवाधिकार

 

मानवाधिकार उल्लंघन की घटनाओं पर प्रभावी रोक लगाने के लिए माननीय सभापति ने बिहार विधान परिषद् की प्रक्रिया एवं कार्य संचालन नियमावली के नियम 65 एवं एतद् अन्य संबंधों के अंतर्गत मानवाधिकार समिति गठित करने का निर्णय लिया। सदन में हुई घोषणा के अनुरूप बिहार विधान परिषद् सचिवालय की अधिसूचना सं. 1342 (1) वि.प. दिनांक 29 जून, 1995 द्वारा समिति के गठन से संबंधित आदेश निर्गत किया गया।

 

बालश्रमिक आयोग

 

3 जुलाई, 1995 को बाल श्रमिकों की समस्या और निदान विषय पर सदन में विशेष वाद-विवाद के दौरान माननीय सभापति प्रो. जाबिर हुसेन ने नियमन दिया कि राज्य में बाल श्रमिकों की जो दुर्दशा है और बाल श्रमिकों को समस्याओं से मुक्त कराने का जो संकल्प अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर, मंच पर भारत ने किया, उसकी रक्षा करने के लिए, अस्थाई तौर पर ही सही लेकिन राज्य में बाल श्रमिक आयोग का गठन सरकार करे।

 

महात्मा गांधी की 125वीं जयंती के अवसर पर आहूत विधानमंडल का विशेष अधिवेशन

 

वर्ष 1995-96, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का महारजत जयंती वर्ष के रूप में मनाया गया। उनकी 125वीं जयंती के महत्वपूर्ण अवसर पर सोमवार, दिनांक 2 अक्टूबर, 1995 को बिहार विधान मंडल का विशेष संयुक्त अधिवेशन आहूत किया गया जिसे तत्कालीन महामहिम राज्यपाल डा. ए. आर. किदवाई ने संबोधित किया। संयुक्त सत्र के पश्चात्‌ बिहार विधान परिषद् वेश्म में हुई बैठक की अध्यक्षता परिषद् के कार्यकारी सभापति प्रो. जाबिर हुसेन ने की। अपने संबोधन के क्रम में माननीय सभापति ने भारत के स्वतंत्रता संघषों के दौरान गांधीजी के योगदान और उनकी प्रासंगिकता को रेखांकित किया।

 

उर्दू-द्वितीय राजभाषा: 26 दिसंबर, 1995 को जारी अधिसूचना के तहत सदन में उर्दू को द्वितीय राजभाषा के रूप में व्यावहारिक स्तर पर लागू करने के उद्देश्य से परिषद् की कार्य संचालन नियमावली के नियम 41 में आवश्यक संशोधन कर सदन के महत्वपूर्ण कार्य हिन्दी के साथ-साथ उर्दू में किए जाने का निर्णय लिया गया।

 

दीपा मुर्मू बलात्कार कांड की जांच

 

पटना से प्रकाशित एक अंग्रेजी दैनिक में सुश्री दीपा मुर्मू बलात्कार कांड से संबंधित समाचार ने मानवीय मूल्यों, उच्च सांस्कृतिक आदर्शों में विश्वास रखने वालों और महिलाओं के सम्मान एवं मर्यादा के लिए सतत संघर्षरत संवेदनशील व्यक्तियों को झकझोर दिया। इसी संदर्भ में बिहार विधान परिषद् के माननीय सभापति प्रो. जाबिर हुसेन ने प्रसंगाधीन दैनिक समाचार पत्र में पकाशित समाचार की प्रेस कतरन को ही आधार मानकर 24 अगस्त, 1996 को परिषद् की मानवाधिकार समिति को उपर्युक्त घटना की जांच कर शीघ्र ही प्रतिवेदन पस्तुत करने का निदेश दिया। बिहार विधान परिषद् की मानवाधिकार समिति ने दीपा मुर्मू कांड में जांचोपरान्त अनुशंसा की है कि आरोपी की जमानत को रद्द करने के लिए राज्य सरकार सर्वोच्च न्यायालय में अपील करे और नैत& 2325;ी धारा 100 के अंतर्गत उन्हें नौकरी से मुअत्तल किया जाए तथा भा.द.वि. की धारा 376/120 बी में गिरफ्तार करने की कार्रवाई के लिए राज्य सरकार तत्काल आवश्यक कार्रवाई करे।

 

उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति व मदरसा का आधुनिकीकरण

 

125वें सत्र में 28 दिसंबर, 1996 को उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति के संदर्भ में माननीय सभापति ने सरकार को निर्देश दिया कि उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति संबंधी आदेश 26 जनवरी, 1997 के पूर्व निश्चित रूप से निर्गत कर दिया जाए। 12 जुलाई, 1996 को उर्दू शिक्षकों के अभाव से संबंधित अल्पसूचित पश्न पर माननीय सभापति ने सरकार को निदेश दिया कि सभी विश्वविद्यालयों में उर्दू की पढ़ाई की क्या स्थिति है, कितने पद सृजित हैं, आयोग की कितनी रिक्तियों की अधियाचना भेजी गई है, इसका एक विस्तृत विवरण बनाकर सदन में उपस्थापित किया जाए। 19 जुलाई, 1996 को मदरसा शिक्षा के आधुनिकीकरण से संबंधित पश्न पर माननीय सभापति महोदय ने सरकार को निर्देश दिया कि आज तक मदरसा शिक्षा के आधुनिकीकरण की क्या रूपरेखा तैयार की गई है, एवं इसके कार्यान्वयन की दिशा मí संबंध में एक प्रतिवेदन शीघ्र सदन को पस्तुत किया जाए। उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति से संबंधित ध्यानाकर्षण पर माननीय सभापति ने नियमन दिया कि 11 जून, 1994 को जितनी रिक्तियां थीं, उसे सरकार देख कर सदन को अवगत कराए। माननीय सभापति ने सरकार को निर्देश दिया कि वह यह भी देखे कि मानक मंडल में सरकार के नीतिगत निर्णय के आलोक में संशोधन किस परिस्थिति में नहीं हुआ एवं इसके लिए दोषी कौन है। 24 जुलाई, 1996 को अरबी-फारसी विश्वविद्यालय की स्थापना से संबंधित ध्यानाकर्षण पर माननीय सभापति ने सरकार को यह निर्देश दिया कि इस विश्वविद्यालय की स्थापना 26 जनवरी, 1997 के पूर्व की जाए एवं तत्संबंधी अधिसूचना निर्गत की जाए, ताकि 26 जनवरी, 1997 के पूर्व विश्वविद्यालय कार्यरत हो जाए।

 

डायन प्रथा प्रतिषेध अधिनियम, 1999

 

माननीय सभापति प्रो. जाबिर हुसेन की संवेदनशीलता ने जनहित से संबंधित विभिन्न मसलों पर अधिनियम बनाए जाने को अमली जामा पहनाया है। डायन प्रथा प्रतिषेध अधिनियम, 1999 उनमें से एक है।

 

बिहार के आदिवासी इलाकों में डायन के नाम पर महिलाओं की हत्या की संख्या में लगातार हो रही वृद्धि को बिहार विधान परिषद् ने गंभीरता से लिया। 133वें सत्र में 26 अप्रील, 1999 को विधान परिषद् ने उपर्युक्त विधेयक को पारित किया। सनद रहे 128वें सत्र (दिसंबर, 1997) में अपने पारंभिक संबोधन में माननीय सभापति प्रो. जाबिर हुसेन ने आदिवासी इलाकों में महिलाओं की इस बर्बरतापूर्ण हत्या पर गहरा क्षोभ व्यक्त करते हुए इस दिशा में प्रभावकारी कदम उठाने की आवश्यकता पर जोर दिया था।

 

पुनः सत्र 129 (मार्च, 1998) में सदन में इस विषय पर उठाए गए एक मामले पर माननीय सभापति ने अपना नियमन दिया। इस गंभीर मसले पर 132वें सत्र (दिसंबर, 1998) के दौरान भी माननीय सभापति प्रो. जाबिर हुसेन ने गहरी चिंता व्यक्त की। उल्लेखनीय है कि माननीय सभापति प्रो. जाबिर हुसेन की इस दिशा में निरंतर सक्रिय पहल तथा निदेश के आलोक में राज्य सरकार ने डायन प्रथा पर कानूनी रोक लगाने के उद्देश्य से एक विधेयक राज्य विधान मंडल में पेश किया था जो 26 अप्रील, 1999 को विधान सभा में पारित हुआ और तत्पश्चात उसी दिन बिना किसी संशोधन के विधान परिषद् से भी पारित हुआ।

 

डायन प्रथा प्रतिषेध अधिनियम, 1999 में यह प्रावधान किया गया है कि यदि कोई भी व्यक्ति किसी औरत को डायन के रूप में पहचान कर उसे शारीरिक या मानसिक यातना, जान-बूझकर देता है या अन्यथा किसी पकार प्रताड़ित करता है, तो उसे छः माह तक की अवधि के लिए कारावास की सजा अथवा दो हजार रुपया तक के जुर्माने अथवा दोनों सजाओं से दंडित किया जाएगा।

 

गांधी जयंती पर सुझाव

 

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 125वीं जयंती समारोह के अवसर पर माननीय सभापति प्रो. जाबिर हुसेन ने कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए :

 

उन्होंने राज्य सरकार को कहा कि स्वर्गीय बत्तक मियां अंसारी, जिन्होंने सन्‌ 1917 में महात्मा गांधी की जान बचाई थी, उनकी स्मृति में मदरसा, छात्रावास एवं खेलकूद प्रांगण विकसित करने का निर्णय ले।

 

राज्य के विश्वविद्यालयों में अनिवार्य विषय के रूप में गांधी विचार की पढ़ाई के बारे में उन्होंने कहा कि जिस विश्वविद्यालय में गांधी विचार की पढ़ाई आरंभ हुई है, वहां पदों के सृजन का काम अविलंब पूरा किया जाए।

 

उनका सुझाव था कि बिहार को संपूर्ण साक्षरता की ओर ले जाने के लिए ठोस कार्य-योजना बनाई जाए, ताकि समाज का कमजोर तबका अपनी आकांक्षाओं के अनुरूप आगे बढ़ सके।

 

विधान परिषद् की महारजत जयंती

 

7 फरवरी, 1996 को बिहार विधान परिषद् ने अपनी स्थापना के 75 साल पूरे किए। अपनी महारजत जयंती के सिलसिले में परिषद् ने कई महत्वपूर्ण आयोजन किए हैं। महारजत जयंती के अवसर पर बिहार विधान परिषद् ने संसद की तरह, प्रत्येक वर्ष उत्कृष्ट संसदीय कार्यों एवं लोकतांत्रिक संसदीय व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान के लिए बिहार विधानमंडल के एक सदस्य को पुरस्कृत करने का निर्णय लिया है। यह पुरस्कार बिहार विधान परिषद् के प्रथम सभापति, राजीव रंजन पसाद सिन्हा की स्मृति में राजीव रंजन स्मृति पुरस्कार  के नाम से जाना जाएगा। इस पुरस्कार के लिए राजीव रंजन फाउंडेशन नामक ट्रस्ट की स्थापना हुई है। यह पुरस्कार बिहार विधानमंडल के किसी सदस्य को दिया जाता है। उत्कृष्ट संसदीय कार्य के लिए बिहार विधान  वर्ष, 1996 के राजीव रंजन स्मृति पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

 

मैथिली भाषा के लिये पहल

 

बिहार विधान परिषद् के 133वें सत्र में 21 अप्रील, 1999 को माननीय सदस्य श्री यशोदानन्द सिंह ने मैथिली को बिहार लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं में ऐच्छिक विषय के रूप में पुनः शामिल करने की ओर सरकार का ध्यान आकृष्ट किया था। राज्य सरकार की ओर से श्री तुलसी सिंह ने बताया कि इस विषय से संबंधित कुछ याचिकाएं माननीय उच्च न्यायालय में लंबित हैं। इस पर सभापति प्रो. जाबिर हुसेन ने सरकार से यह जानना चाहा कि क्या वह न्यायालय में मामला लंबित रहने के दौरान मैथिली को आयोग की परीक्षाओं में शामिल करने का निर्णय ले सकती है? माननीय मंत्री ने स्पष्ट किया कि वांछित जानकारी मूल संचिका के उच्च न्यायालय से लौटने के बाद ही दी जा सकती है।

 

बाद में, माननीय सदस्य श्री नवल किशोर यादव के सरकार के नीतिगत निर्णय लेने संबंधी एक सवाल पर माननीय मंत्री के दिए गए वक्तव्य के किंचित अंशों पर अपनी सहमति देते हुए माननीय सभापति ने यह नियमन दिया कि उन्हें इस बात की जानकारी है कि राज्य सरकार ने महाधिवक्ता से कहा था कि आप माननीय उच्च न्यायालय को सूचित कर दें कि सरकार इस पर पुनर्विचार करना चाहती है। माननीय सभापति प्रो. हुसेन ने इसी क्रम में माननीय मंत्री महोदय से अनुरोध किया कि महाधिवक्ता के मार्फत मैथिली से संबंधित संचिका को उच्च न्यायालय से मंगा लिया जाय और उसके बाद उस मामले में जो सरकार का निर्णय हो उससे सदन को सूचित किया जाए।

 

अभी हाल में उच्च न्यायालय ने फैसला दिया है कि मैथिली को बिहार लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं में ऐच्छिक विषय के रूप में शामिल किया जाना चाहिए।

 

पान को करमुक्त करने के संबंध में

 

बिहार विधान परिषद् के 133वें सत्र में 26 अप्रील, 1999 को परिषद् के कुछ माननीय सदस्यों ने पान की खेती से जुड़े राज्य के 20 लाख बरई जाति के लोगों का मामला उठाते हुए पान को करमुक्त करने का पस्ताव रखा था। इस पर परिषद् के माननीय सभापति प्रो. जाबिर हुसेन ने यह स्मरण दिलाते हुए कि पूर्व में सरकार ने पान कृषकों को पान को करमुक्त करने का आश्वासन दिया था, राज्य सरकार को यह निदेश दिया कि पान कृषकों से कर वसूली के निमित्त जारी आदेश को वापस लिया जाय। सरकार की ओर से माननीय मंत्री श्री शिवशंकर यादव ने इस दिशा में उचित कार्रवाई करने का आश्वासन दिया। राज्य सरकार ने प्रो. हुसेन के इस निदेश के आलोक में पत्र सं. - 5/वि.प.आ 1/99, दिनांक 26.11.99 के द्वारा बिहार राज्य कृषि विपणन पर्षद को पान को अधिनियम की अनुसूची से विलोपित करने के निर्ण